बूँद पानी की
आँखों से निकले
अश्क कहलाती
हाल-ऐ-दिल बयाँ
करती
सीप में रूप मोती का
लेती
प्यासे के मुंह में गिरे
प्यास उसकी बुझाती
गर जिस्म से टपके
अहसास मेहनत का
कराती
पेशानी पर छलके तो
परेशानी मन की
बताती
छोटी होते हुए भी
निरंतर कारनामे बड़े
करती
रास्ता कामयाबी का
दिखाती
जज्बा हो तो
मंजिल दूर नहीं होती
हर छोटी चीज़,
छोटी नहीं होती
23-03-03
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
475—145-03-11
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