Sunday, March 20, 2011

अच्छा हुआ अब बात नहीं करते




अच्छा हुआ
अब बात नहीं करते

जैसा सोचा वैसा ही करते 
निरंतर हंसी ठिठोली करता
सब के सामने अपनापन
दिखाता
दिल की बातें उनसे कहता
इरादे नापाक मेरे
ऐसा अहसास देता
कोई उंगली उठाए रिश्तों पर
इंतज़ार उसका करता
अब कामयाब हो गया
उन्होंने मुंह फिरा लिया
बात करना अब बंद
कर दिया
अपनी नज़रों से गिरा दिया
अब कोई ऊंगली ना
उठाएगा
वजूद जिसका नहीं
उस रिश्ते से ना जोड़ेगा
बोझ दिल का उनके
कम किया
चाहत के खातिर काम
ऐसा किया 
इसी में सुकून हासिल
किया
20-03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
458—128-03-11

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