Sunday, March 20, 2011

जीवन में अकेले लडूंगा,सफ़र आगे का पूरा करूंगा



    
नदी में तैरना मुझे
लहरें तेज़ हो या धीरे
पानी का आनंद
लेना मुझे
नाव वाले नाव में
आने को कहेंगे
आमंत्रण अस्वीकार
करूंगा
कब तक दूसरों के
सहारे रहूँगा
सफ़र अकेले तय
करूंगा
जानता हूँ ,सफ़र में
थकूंगा
कहीं रुक कर आराम
करूंगा
हार ना मानूंगा,
निरंतर चलता रहूँगा
जीवन में अकेले
लडूंगा
सफ़र आगे का पूरा
करूंगा

20-03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
463—133-03-11

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