Thursday, March 31, 2011

चुप क्यों हो?


कुछ तो बोलो
अब तो मुंह खोलो
क्या यादों में खो गए ?
कुछ सोच रहे ?
मन को टटोल रहे ?
ख्वाब टूट गए ?
ख्वाब देख रहे ?
पशोपश में हो?
कहूँ ?ना कहूँ ?
की उलझन में
फस गए ?
परेशाँ हो ?
परेशानी दूर करो
फैसला कर लो
लोगों को
ज्यादा तोला ना करो
पैमाने से ना नापा
करो
निरंतर कुछ कहते
रहो
जो मन में है,बताते
रहो
किसी से बांटते रहो
जहन को हल्का रखो
बोझ कम करते रहो
जीवन जीते रहो
आनंद लेते रहो
31-03-03
562—232-03-11

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