Monday, March 21, 2011

अब पछताए होत क्या,जब चिड़िया चुग गयी खेत का अर्थ समझ आयेगा



ज्यादा पानी से
फसल का भी नाश
होता
पानी ज़्यादा हो
तो बाँध भी टूट जाता 
ज्यादा प्यार में लाडला 
बिगड़ जाता
हर चीज़ को आसान
समझने लगता 
प्यार की कद्र ना
करता
अच्छे बुरे में भेद ना
पहचानता
प्यार का जवाब नफरत
से देता 
लाडलों को प्यार ज़रूरी
उतना करो
गलती करने पर डांट
भी लगाओ
बुढापे का सहारा समझ
सर पर ना चढाओ
असफलता का दोष तुम पर
लगेगा
क्यों वक़्त पर नहीं
समझाया
निरंतर सुनने को
मिलेगा
पानी हर दिन नहीं
बरसता
पानी को सम्हाल
कर रखो
व्यर्थ उसे ना करो,
बह जाएगा तो लौट कर
ना आयेगा
अब पछताए होत क्या
जब चिड़िया चुग गयी
खेत का
अर्थ समझ आयेगा
    21-03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
464—134-03-11

No comments: