इंसान को
मोहब्बत ही नहीं
जीवन में बहुत कुछ चाहिए
स्वाबलंबन के लिए कर्म,
स्वाबलंबन के लिए कर्म,
मेहनत और शक्ती, चाहिए
शरीर के लिए स्वास्थ्य
शरीर के लिए स्वास्थ्य
इंसान को
मोहब्बत ही नहीं
जीवन में बहुत कुछ चाहिए
स्वाबलंबन के लिए कर्म,
स्वाबलंबन के लिए कर्म,
मेहनत और शक्ती, चाहिए
शरीर के लिए स्वास्थ्य
शरीर के लिए स्वास्थ्य
आगे बढ़ने के लिए
होंसला और दृढ निश्चय
मन में निरंतर विश्वाश
दूसरों को समझने के लिए
दूसरों को समझने के लिए
संवेदन शीलता ,
सहअस्तित्व के लिए
आपसी समझ और
सहनशीलता चाहिए
ईमान,धर्म के संस्कार,
ईमान,धर्म के संस्कार,
जुबान में मिठास,
काम,क्रोध,मन पर
नियंत्रण चाहिए
ख़ूबसूरती पहचान सकें
ख़ूबसूरती पहचान सकें
ऐसी आँखें चाहिए
कथनी करनी में एक रूपता
कथनी करनी में एक रूपता
समय का सदुपयोग
इश्वर को पाने के लिए
सुखी जीवन के लिए
संतुष्टी और धैर्य चाहिए
26-03-03
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
511—181-03-11
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