Tuesday, March 22, 2011

मर मर कर ना जी,ना जीते जी मर


मर मर 
कर ना जी
ना जीते जी मर 
रोना धोना छोड़
शिकायत बंद कर
खुल कर हंस
उम्मीद रख
इंतज़ार कर
ना ज्यादा सोच
ना जोड़ तोड़ कर
ना दोष किसी को दे
निराशा छोड़
निरंतर कर्म कर
आज वक़्त नहीं तेरा
फ़िक्र ना कर
तेरा भी आयेगा
थोड़ा सब्र तो कर
रब को याद रख
वो देख रहा सब को
कौन चाहता ,उसको
फल तुझे भी देगा
अगर चाहेगा
दिल से उसको
उसके बताये
रास्ते पर चलेगा
खुशी से जियेगा
जो चाहेगा
मिलेगा तुझको
23-03-03
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
477—147-03-11

1 comment:

केवल राम said...

मर मर
कर ना जी
ना जीते जी मर
रोना धोना छोड़
शिकायत बंद कर
आपने जीवन की सच्चाई को बहुत सजगता सामने रखा है ...जीवन जीना एक कला है और हम मर मर कर जीवन जियेंगे तो क्या जियेंगे ...आपका आभार इस सार्थक रचना के लिए