अहसासों की
ख़ूबसूरती से महरूम हुआ
हकीकत से वाकिफ हुआ
सपना अधूरा रह गया
हकीकत से वाकिफ हुआ
सपना अधूरा रह गया
हर तरफ अन्धेरा था
जो जितना चमकता था
उतना ही धुंधला निकला
मरघट की साँय साँय
ज़िन्दगी में छोड़ गया
खुद के साथ
अहसास भी ले गया
निरंतर अकेला था
अकेला रह गया
अहसास मेरे लौट जाएँ
दुआ करता रहा
जो जितना चमकता था
उतना ही धुंधला निकला
मरघट की साँय साँय
ज़िन्दगी में छोड़ गया
खुद के साथ
अहसास भी ले गया
निरंतर अकेला था
अकेला रह गया
अहसास मेरे लौट जाएँ
दुआ करता रहा
28-03-03
528—198-03-11
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