कभी तो बर्फ
तुम्हारे दिल की
पिघलेगी
पिघलेगी
मोहब्बत का पानी
बन कर बहेगी
बन कर बहेगी
मुझे भी साथ डुबायेगी
निकलूंगा नहीं में
पानी से
पानी से
चाहे हाथ धोना पड़े
जान से
जान से
निरंतर मर कर भी
दफ़न उस में हो
जाऊंगा
जाऊंगा
साथ तुम्हारा ना
छोडूंगा
छोडूंगा
निरंतर साथ तुम्हारे
रहूँगा
रहूँगा
जर्रा जर्रा चाहे मेरा
गल जाए
गल जाए
गल कर उस में ही
मिल जाऊंगा
मिल जाऊंगा
24-03-03
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
488—158-03-11
No comments:
Post a Comment