Monday, March 21, 2011

निरंतर कमजोर को इंसान नहीं समझा,आज क्यों समझेंगे



आज 
वो साठ साल
के हो गए
शष्ठी पूर्ती मना रहे
 जन्म दिन पर शामीयाने
लगेंगे
फूलों से सजाए जाएंगे
लाखों रूपये खर्च करेंगे
पैसे का रूतबा दिखाएँगे  
आधे शहर को बुलाएंगे
पकवानों से पेट उनका भरेंगे
उन्हें भी तोहफे कई मिलेंगे
उनकी शान में कसीदे
पढ़े जाएंगे
मेहमान बढ़ चढ़ कर
तारीफ़ करेंगे
फूल कर कुप्पा होंगे
हर नामी गिरामी के साथ
 हंस हंस कर फोटो
खिंचवायेंगे
घर के नौकर सुबह से
शाम तक पिदेंगे
सब से अंत में खाएँगे
अगले दिन छुट्टी मांगेंगे तो
डांट,गाली का स्वाद 
चखेंगे
किसी ने पलट कर 
जवाब दिया
तो नौकरी से निकालने 
की धमकी देंगे
निरंतर कमजोर को
इंसान नहीं समझा
आज क्यों समझेंगे
21-03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
468—138-03-11

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