आप सुन्दर गाते हैं
सुनना हुआ
जुबान से लफ्जों का
निकलना शुरू हुआ
साज़ बिना भी
सुनना हुआ
जुबान से लफ्जों का
निकलना शुरू हुआ
साज़ बिना भी
सुर सजते गए
रुके बिना लबों से
निकलते रहे
उन्होंने तारीफ
क्या करी
मैं दीवाना हुआ
निरंतर ख्यालों में
खोता गया
सोते जागते
उन्हें ही देखता रहा
मैं अब मैं ना रहा
किसी और का
हो गया
उनकी मोहब्बत में
डूब गया
रुके बिना लबों से
निकलते रहे
उन्होंने तारीफ
क्या करी
मैं दीवाना हुआ
निरंतर ख्यालों में
खोता गया
सोते जागते
उन्हें ही देखता रहा
मैं अब मैं ना रहा
किसी और का
हो गया
उनकी मोहब्बत में
डूब गया
23-03-03
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर472—142-03-11
1 comment:
waah...ye to jadu hua
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