याद
मुझे तुम्हारी आती
पल पल मुझे रुलाती
निरंतर परेशान करती
मर्जी खुदा की समझ
चुप चाप सहता हूँ
सब्र से रहता हूँ
दुआ हर रोज़ करता हूँ
काम में लगता हूँ
दिन किसी तरह
काटता हूँ
मेहर बानी रब की
हो जाए
मुलाक़ात तुमसे
हो जाए
इंतज़ार करता हूँ
24-03-03
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
498—168-03-11
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