Thursday, March 24, 2011

याद मुझे तुम्हारी आती





याद
मुझे तुम्हारी आती
पल पल मुझे रुलाती
निरंतर परेशान करती
मर्जी खुदा की समझ
चुप चाप सहता  हूँ
सब्र से रहता हूँ
दुआ हर रोज़ करता हूँ
काम में लगता हूँ
दिन किसी तरह
काटता हूँ
मेहर बानी रब  की
हो जाए
मुलाक़ात तुमसे
हो जाए 
इंतज़ार करता हूँ
24-03-03
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
498—168-03-11

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