मेरी हसरतें अभी
मिटी नहीं
उन्हें पाने की ख्वाइश
कम हुयी नहीं
हाँ उन्होंने अब तक
भरी नहीं
अब भी इस शहर में
रहतीं
लोगों को बाज़ार में
नज़र जातीं
सुना है,ना हंसती ना
मुस्कराती
वो भी खुश नहीं,अंदाज़
कराती
उनकी नाखुशी सुकून
मुझको देती
अब तक किसी की
हुयी नहीं
अहसास कराती
निरंतर ऐसी खबरें
उम्मीद मेरी कायम
रखतीं
20-03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
455—125-03-11
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