ना रखो चाहे
कभी कभी दिख
जाया करो
मिलो तो बात ना
करो चाहे
कोने में ना छिपा
करो
वक़्त काफी साथ
गुजारा हमने
अनजान ना समझा
करो
नज़रें ना मिलाओ
चाहे
नज़रें ना फिराया
करो
निरंतर ज़िक्र मेरा
होने पर
मुंह ना बिचकाया करो
इंसान हूँ
इंसान जैसा बर्ताव
करो
काफिर ना समझा
करो
23-03-03
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
481—151-03-11
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