Wednesday, March 30, 2011

इंसान कमज़ोर या तगड़ा,बिना गुण किसी को ना भाता


फूल
एक पंखुड़ी का हो
या सैकड़ों पंखुड़ियों का
फूल कहलाता 
निरंतर लुभाता
सदा महकता
इंसान
कमज़ोर या तगड़ा
बिना गुण
किसी को ना भाता
गुण एक या अनेक
इंसान के लिए ज़रूरी
सुधार की कोशिश ज़रूरी
जज्बा अगर ठीक हो
गुण बढ़ते जाएँगे
कमजोर मज़बूत होते
जाएँगे
क्यों ना ठान लें ?
अवगुणों को दूर करना
गुणों को हांसिल करना
सब को यही सिखाना
नए सफ़र पर चलना
नवजीवन प्रारम्भ करना
ध्येय अब बनाना है
30-03-03
556—226-03-11
   

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