Friday, March 11, 2011

जिसका जाता वो ही रोता,किसी और को क्या फर्क पड़ता



कल
तपती दोपहर में
अन्धेरा छा गया
एक अबला का क़त्ल
हो गया
कातिल भीड़ में गुम
हो गया
चलती सड़क पर
गवाह कोई ना मिला
शहर में सन्नाटा
पसर गया
मीडिया में मुद्दा
छा गया  
हर जुबां पर
उस का चर्चा होता रहा
हर शख्श  पुलिस को
नाकाम कहता रहा
आज दोपहर तक
सब ठीक हो गया
जाने वाला चला गया
कातिल पकड़ा ना गया
घर वालों का दुःख
कम ना हुआ
रोना धोना चालू रहा
सब कुछ सामान्य हो गया
आज दोपहर से
नया मुद्दा छा गया
एक बच्चा
बोरवेल में गिर गया
सबका ध्यान
उस और मुड गया
निरंतर
ऐसा ही होता आया
कल को
कौन याद करता
जिसका
जाता वो ही रोता
किसी और को
क्या फर्क पड़ता
11—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर

1 comment:

Dr. Yogendra Pal said...

पीर पराई जाने कौन?

सही है