Saturday, March 12, 2011

ना अब मिलना होता,ना बात कभी होती

ना अब
मिलना होता
ना बात कभी होती
दिल में अब भी बसी
याद उनकी निरंतर आती
जलजला जहन में
मचाती
बीते कल में लौटाती
हर लम्हा याद आता
उनका हँसना मुस्कराना
मन  मिलने का करता
दिल गिला शिकवा
भूलने को कहता
ख़त लिखने के कलम
उठाता
सिलसिला यादों का
टूट जाता
तभी ख्याल आता
वो हमसफ़र किसी के
हो चुके
क्यूं निरंतर 
मैं यूँ ही बहकता
12—03-2011



No comments: