13-01
अब जो भी मिल
जाता है
बात दिल की कहता हूँ
अपनों ने नज़र
फिरा ली
चुपके से बताता हूँ
सुन कर भी लोग
तवज्जो नहीं देते
मुस्कारा कर बात
टाल देते
ऐसा ही होता है,इश्क में
कह कर चल देते
अब लिख कर अफ़साने
ज़िन्दगी के बताता हूँ
जो भुगता निरंतर
लिखता हूँ
ये सब पहले भी
पढ़ा है
सुनने से डरता हूँ
06-01-2011
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