Saturday, March 19, 2011

वो ख़त मैंने संभाल कर रखे हैं,ख्याल जिन में तुम्हारे लिखे हैं

12-11


वो
ख़त मैंने संभाल
कर रखे हैं
ख्याल जिन में तुम्हारे
लिखे हैं
हर हर्फ़ से खुशबू
तुम्हारी आती
हर कागज़ में सूरत
तुम्हारी दिखती
क्यों रुक गया सिलसिला
जज्बातों का
ज़रिया बात दिल की
बताने का
क्यूं ठहर गया पानी
इश्क का
कलम के कंकर से
फिर हिला दो इसे
ख्यालों से तुम्हारे
सजा दो इसे
निरंतर जिया हूँ,इन्हें
पढ़ कर
तुम्हें महसूस किया
इन्हें देख कर
मोहब्बत के पानी को
जमने ना दो
खतों के ज़रिये
हिलाते रहो
इश्क को परवान
चढ़ने दो
बिना मिले तुम्हें पास
महसूस करने
दो
06-01-2011

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