Friday, March 11, 2011

सफ़र में पेड़ बहुत मिले,कुछ छोटे कुछ बड़े



सफ़र में
पेड़ बहुत मिले
कुछ छोटे कुछ बड़े
कुछ छायादार
कुछ ठूंठ से खड़े
कुछ फूलों से भरे
कुछ पत्तों से भी
महरूम थे
हर पेड़ को
गौर से देखा मैंने
जहां छाया मिली
विश्राम किया मैंने
महक फूलों की
सूंघी मैंने
आगे बढता गया
सफ़र पूरा करता
गया
पत्तों,फूलों से जो
महरूम थे
किसी निगाह को
भाते ना थे 
दुआ उनके लिए
करता गया
जब लौटूं,हरा भरा
उन्हें देखूं
उनके फूलों की
महक सूघूं
11—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर

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