कौन है
हसरतें जिसकी सारी
पूरी होती
सब की कुछ ना कुछ
अधूरी रहती
कोई फिर भी निरंतर
हंसता रहता
कोई ज़िन्दगी भर
रोता रहता
निरंतर नयी हसरतें
पालता
दिन रात चिंता में
घुलता
ना ठीक से सोता
ना खुश हो जागता
ज़िन्दगी भर असंतुष्ट
रहता
असंतुष्ट दुनिया से
चले जाता
12—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
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