Saturday, March 12, 2011

गम-ऐ-मोहब्बत में,हाल-ऐ-दिल समझा गए



413—83-03-11

हसरत 
थी जिनकी दिल में  
वो ना मिले
मगर रस्में मोहब्बत की
सिखा गए
क्या होता है
बीमारे-ऐ-मोहब्बत को
सब अहसास करा गए
गम-ऐ-मोहब्बत में
हाल-ऐ-दिल समझा गए
हर फूल
निरंतर महकता नहीं
बता गए
12—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर





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