Monday, March 14, 2011

जब तुम ही नहीं ज़माने से मुझे क्या ?



428—98-03-11
 जब तुम ही नहींज़माने से मुझे क्या ? 
किसी और के लिए वो जज्बात कहाँ ?
दिल टूट गया किसी को मतलब क्या ?
अश्क आँखों से बहते,अब रुकते कहाँ ?
खुदा के पास रहते हो,उस से मुझे क्या ?
ज़मीन पर लौट कर,अब आओगे कहाँ ?
निरंतर ज़िन्दगी  यूँ  ही कटेगी क्या ?
रास्ता अब दूसरा मेरे पास बचा कहाँ ?
14—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
  

1 comment:

सदा said...

सदा said...

बेहतरीन प्रस्‍तुति ।
March 14, 2011 4:08 PM