Friday, March 11, 2011

वो चाहते हैं ,हम ये दावा नहीं करते

411—81-03-11



 वो चाहते हैं,हम ये दावा नहीं करते  
हर शख्श जानता,हम उन्हें चाहते

गैरों को यकीन हमारी मोहब्बत पर
उन के ख्याल का पता नहीं अब तक

निरंतर दिल-ओ.जान लुटाएँगे उन पर
ठुकराएं या कबूल करें फैसला उन पर

कबूलेंगे तो हसरत हमारी पूरी करेंगे

ठुकराएंगे  तो ग़मज़दा  हमें  करेंगे
हम तो हर हाल में उन्हें चाहते रहेंगे

सुबह-ओ-शाम नाम उनका लेते रहेंगे
जिएँगे जब तक दिल में उन्हें रखेंगे 
11—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर

1 comment:

Dr. Yogendra Pal said...

एक से बढ़कर एक लिखा है आपने,

एक गुजारिश है रोज एक लिखने का नियम बनाएँ यह हर तरह से फायदेमंद होगा