Sunday, March 13, 2011

जीवन लिफ्ट में काटता,लिफ्टमैन कहलाता




सुबह से
शाम एक ही काम
काम वाली बाई से लेकर
सेठ ,साहूकारों,बच्चों से 
बूढों तक
सब को ऊपर से नीचे,
नीचे से ऊपर,ले जाता
खुद वहाँ का वहाँ रह जाता
किसी को नमस्ते किसी को
सलाम करता
बच्चों को प्यार
बूढों को सम्मान देता
बातें सब की सुनता रहता
खुद भी कुछ कहता रहता
कई किस्म के लोगों को
करीब से देखता
कौन महक रहा
कौन बहक रहा
उसे सब पता पड़ता
राजा से रंक तक पाला
उसका पड़ता
निरंतर एक ही काम
हर दिन करना होता
फिर भी चुपचाप जुटा रहता
बहुतों को मंजिल पर पहुंचाता
जीवन भर लिफ्ट चलाता
जीवन लिफ्ट में
काटता
लिफ्टमैन कहलाता
13—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर

 
    

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