Sunday, March 13, 2011

ना धन से, ना बल से, ना नाम से, ना पद से ,खुशी किसी को मिलती

धन अगर राज़
  खुशी का होता
हर धनवान खुश होता
निरंतर सड़क पर नाचता
गरीब का पेट भरता
खुशी से नाचता
नींद कहीं भी लेता
पद जिसका बड़ा होता
पैसा पास ज्यादा होता
शक्तिशाली कहलाता
बिना अंग रक्षकों के
नहीं चलता
निरंतर मौत से घबराता
डर डर कर जीता रहता
गरीब निडर
गहरी नींद में सोता
क्या होगा,चिंता ना करता
शोहरत,सुन्दरता अगर पैमाना
खुशी जीवन की होती
शादी किसी जोड़े की नहीं
 टूटती
हर नामी शख्शियत
निरंतर खुश रहती
कम इच्छा बुरी नहीं
पद,धन का,कोई अंत नहीं
ना धन से, ना बल से,
ना नाम से, ना पद से
खुशी किसी को मिलती
जीवन के अंत तक
 असंतुष्टी बनी रहती
मौत भी चैन से
ना आती
13—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर

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