Sunday, March 13, 2011

नज़रें किसी और से अब ना लड़ाना



423—93-03-11


  सब को
याद आता गुजरा हुआ
ज़माना
दिल किसी का दुखता
कोई रोमांच से भरता
जिस की जैसी किस्मत
उसके साथ वैसा होता
पीछे को
भूल आगे है जाना
आने वाले वक़्त को
हंस हंस कर जीना
जो मिलता नहीं अब
दुआ उस के लिए
करना 
जो हैं साथ अब
 साथ उनका पूरा निभाना
निरंतर दिल-ओ-दिमाग में
उन्हें ही रखना
नज़रें किसी और से
अब ना लड़ाना
13—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
 


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