Tuesday, March 15, 2011

अब वो भी मुझ से खौफ खाते



434—104-03-11

अब वो भी  
मुझ से खौफ खाते
ना जाने
क्यों परेशान रहते
सवाल खुद से पूंछते
कोई क्या कहेगा सोचते 
ना बात करते,ना जवाब देते
निरंतर दूरी बनाए रखते
यकीन नहीं उन्हें खुद पर
दोष ज़माने को देते
वजूद जिस बात का नहीं
क्यूं उसे हवा देते?
हर शख्श दिल से काला
क्यूं ऐसा सोचते
ये क्यूं नहीं जानते
लोग ईमान से भी जीते
बुरी निगाह ना रखते
दिल से चाहते ज़रूर
मगर नेक ख्याल
रखते
15—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर

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