3-11
जब
दिल ही दे दिया
गिला ना रखूंगा
खंजर मारे
या चलाये तीर
मुस्करा कर खाऊंगा
जख्म कितने भी दे
खुशी से सहूंगा
हाथ में लकीर
तेरे नाम की बनायी
जो भी किस्मत में होगा
सर झुका के कबूलूंगा
पेड़ मैंने लगाया
निरंतर पानी पिलाया
फल जैसा भी आयेगा
स्वाद लेकर खाऊंगा
मरते दम तक
दुआ तेरे लिए
करूंगा
02-01-2011
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