Friday, March 18, 2011

क्यों दिल कांच सा होता




क्यों दिल
कांच सा होता
इतनी
ज़ल्दी क्यूं टूटता
सूरत
अपने अन्दर बसाता
किसी का प्यार
किसी का  नफरत से
भरा होता
दिल किसी का पत्थर
किसी का फूल सा
कोमल होता
गम में दिल रोता
खुशी में बल्लियों
उछलता
निरंतर दिल चुप ना
रहता
कहीं ना कहीं लगता
रहता
19-03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
450—120-03-11

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