Tuesday, March 15, 2011

मेरा नाम झील है,कोई तालाब कोई ताल भी कहता



मेरा नाम झील है
कोई तालाब
कोई ताल भी कहता
पानी से भरी हूँ
प्रकृती का हिस्सा हूँ
मुझे बचाओ मेरी व्यथा
पर ध्यान दो
स्थति बद से बदतर हो रही
सदियों से सब सह रही
फिर भी शिकायत नहीं करी
अब प्रार्थना कर रही
गंदे नालों के गंदे पानी से
भरने लगी 
शहर की सारी गंदगी
समाये रखती
मेरे अन्दर जीने वाले जीव
धीरे धीरे मृत हो रहे
पक्षी भी अब दूर रहने लगे
मेरे पानी में नाहने से
लोग डरने लगे
नौकायन तो लोग करते
पर पानी से नहीं  खेलते
मूर्ती विसर्जन के अवशेषों से
तल भरता जा रहा
पौलीथीन से मेरा शरीर
अट रहा
पानी बदबू मारने लगा
निरंतर मानव से ले कर
कई जीव जंतुओं के
जीवन का अटूट अंग रही
अब मेरा अस्तित्व
खतरे में दिख रहा
समय रहते बचा लो ,
स्वच्छ पानी से भर दो
गंदगी से मुक्त कर दो
इंसान और जीवों  के
पूर्ण काम आने की
कामना पूरी कर दो
अब अहसान फरामोशी
छोड़ दो
मुझ पर ध्यान दो
मुझे मेरा पुराना रूप
वापस कर दो
नहीं करोगे तो पछताओगे
परमात्मा को क्या
जवाब दोगे 
15—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
438—108-03-11

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