कुछ तो
कमी रही होगी
कि तुम हमारे ना रहे
कुछ खता
हम से हुयी होगी
कि तुम
खफा हम से हुए
ना कोई शिकायत
ना गिला तुम से
कोई तो
वजह रही होगी
कि इस
तरह दुत्कारे गए
ये ही क्या कम है
कि कुछ वक़्त
तुम्हारे दिल में रहे
निरंतर
तुम्हें देखते रहे
उन यादों के
सहारे ही जी लेंगे
जुदाई के गम में
अश्क बहा लेंगे
11—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
1 comment:
अश्क बहाने की आवश्यकता नहीं क्यूंकि यह तो बाद में ही पता लगेगा कि "तुम हमारे न हुए" यह हमारे हक में हुआ :)
बेहद ख़ूबसूरत रचना
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