428—98-03-11
जब तुम ही नहीं ज़माने से मुझे क्या ?
किसी और के लिए वो जज्बात कहाँ ?
दिल टूट गया किसी को मतलब क्या ?
अश्क आँखों से बहते,अब रुकते कहाँ ?
खुदा के पास रहते हो,उस से मुझे क्या ?
ज़मीन पर लौट कर,अब आओगे कहाँ ?
निरंतर ज़िन्दगी यूँ ही कटेगी क्या ?
रास्ता अब दूसरा मेरे पास बचा कहाँ ?
14—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
1 comment:
बेहतरीन प्रस्तुति ।
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